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“एविएशन के क्षेत्र में छात्र – छात्राओं के लिए हैं बहुत से अवसर”

एविएशन के क्षेत्र में बहुत से मौके और अवसर हैं विधार्थी इस क्षेत्र में अपना कॅरियर चुन सकते हैं। शहीद भगतसिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय आष्टा में एविएशन के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं को कॅरियर चयन और मार्गदर्शन देने के लिए सोमवार को सेमिनार का आयोजन स्वामी विवेकानंद प्रकोष्ठ द्वारा किया गया। आई.आई.एच.एम. एविएशन अकादमी भोपाल की स्पीकर ने विधार्थियो को एविएशन में रोजगार की संभावनाओं, व्यक्तित्व विकास, संप्रेषण कौशल और ग्राउंड जॉब, तकनीकी जॉब व अन्य अवसरों की जानकारी दी।

उन्होंने इस क्षेत्र में चयन में आने वाली मुश्किलों पर भी बात की। उन्होंने सभी एयरलाइंस के बारे में विस्तार से बताया। इस क्षेत्र में कम उम्र से ही आय की शुरुआत के बारे में बताया। छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रश्न किए और अपनी शंकाएं रखीं। सेमिनार में शुभम राजपूत व अदनान हासमी ने अपने इंस्टिट्यूट में संचालित विभिन्न कोर्स के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि छात्राएं बी.ए. इन ट्रैवल एंड टूरिज्म, बी.कॉम. इन लॉजिस्टिक एंड कार्गो, बी.बी.ए. एविएशन के साथ-साथ एयरपोर्ट ग्राउंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन ट्रैवल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी के साथ-साथ एडवांस डिप्लोमा इन एयरलाइंस, केबिन क्रू की पढ़ाई व प्रशिक्षण भी ले सकती हैं।

यहां ऐड ऑन कोर्सेज इन एविएशन भी चलाया जाता है। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. पुष्पलता मिश्रा ने सेमिनार में कहा कि विधार्थियो को एविएशन इंडस्ट्री की जानकारी देने से उनका कमर्शियल इंडस्ट्री वैल्यू भी बढ़ता है जो कि आने वाले समय में छात्र-छात्राओं को कॅरियर बनाने में सहायता देगा। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद प्रकोष्ठ के टी.पी.ओ. डाॅ. दीपेश पाठक ने कहा की भारत के विमानन क्षेत्र में रोजगार और विस्तार की अपार संभावनाएं हैं।

युवाओं को विमानन क्षेत्र संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त कर इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार है। वर्ष 2040 तक देश में 34 हजार पायलट, 45 हजार तकनीकी क्षेत्र के नए पदों की आवश्यकता होगी और अप्रत्यक्ष रूप से काफी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। कार्यक्रम में डाॅ. रचना श्रीवास्तव, विनोद पाटीदार, वैभव सुराणा, जगदीश नागले, जितेंद्र विश्वकर्मा, कुलदीप जाटव सहित महाविद्यालय के अन्य शिक्षक व विधार्थी उपस्थित थे। संचालन डाॅ.दीपेश पाठक ने व आभार प्रकोष्ठ सदस्य वैभव सुराणा ने व्यक्त किया।

“ब्रह्म कुमारी आश्रम की दिव्यता शांति और सकारात्मकता देती हैं :- कैलाश परमार”

आश्रम प्रमुख श्रद्धेय कुसुम दीदी ने ब्रह्म आश्रम के मूल्यों और आदर्श को अपना कर मानव हित और आत्म कल्याण के लक्ष्य को चुना और निरन्तर संघर्ष से इस लक्ष्य को प्राप्त भी किया । यह बात पूर्व नपाध्यक्ष तथा प्रदेश कांग्रेस महासचिव कैलाश परमार ने ब्रह्म कुमारी कुसुम दीदी के जन्म स्वर्ण समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त करते हुए उनके यशस्वी जीवन की बधाई दी ।


ब्रह्म सरोवर में आयोजित इस समारोह में विशाल संख्या में जुटे भक्त गण को संबोधित करते हुए बी. के . कुसुम दीदी ने नगर में प्रजापिता ब्रह्म कुमारी आश्रम के आगाज से अद्यतन तक की जानकारी देते हुए कहा कि जीवन मे शांति और सद्भाव का उद्द्भव तभी होता है जब हम अपने आचरण में सात्विकता को धारण करते हैं । हमारे आहार विहार ,अचार विचार और वेशभूषा में संयम और अनुशासन होना चाहिये । शिवत्व की प्राप्ति के लिए यह परम आवश्यक है । आश्रम की बहन और भाइयों ने कुसुम दीदी के स्वर्ण जन्म समारोह पर नगर के गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित किया था । पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष तथा प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति तथा पूर्व पार्षद नरेंद्र कुशवाह ने कुसुम दीदी को शाल श्रीफल भेंट कर उनके यशस्वी जीवन की बधाई दी ।

“शीत लहर से बचाव को लेकर एडवॉयजरी जारी”

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने शीतघात व शीत लहर को लेकर पर्याप्त सावधानी बरतने की अपील आम नागरिकों से की गई है। उन्होने बताया कि शीत ऋतु में वातावरण का तापमान अत्यधिक कम होने पर शीत लहर का चलना प्रारंभ हो जाता है! जिसके कारण मानव स्वास्थ्य पर अनेक विपरित प्रभाव जैसे सर्दी जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ों में संक्रमण, हाईपोथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी होने की आशंका बनी रहती है।

प्रभावी शीत लहर से बचने के लिए गर्म एवं ऐसे कपड़े जिनमें कपड़ों की कई परतें होती है वह शीत लहर से बचाव के लिए अत्यधिक प्रभावी होते है। रजाई, कंबल, स्वेटर, गर्म कपडों का उपयोग किया जाना चाहिए एवं मफलर, आवरण युक्त जलरोधी जूतों का उपयोग किया जाना चाहिए। इस संबंध में जनजागरूकता के लिए मैदानी स्तर पर आशा, आशा सुपरवाईजर्स, एएनएम, एमपीडब्ल्यू को जनजागरूकता के लिए निर्देशित करने सिविल सर्जन तथा समस्त विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।

“इर्ष्या अग्नि के समान,कर्मों की सजा भोगना पड़ती है –अभय मुनि जी
मोहिनी कर्म के कारण अशुभ भाव आते — गिरीश मुनि जी”

अनंत काल से आत्मा का संबंध कर्मों से चल रहा है। कर्म बांधते हैं अच्छा लगता है भोगते हैं जब कष्ट होता है। कर्मों की सजा भोगना ही पड़ती है। मजा और आनंद में आनंद चाहिए तो णमोकार महामंत्र का जाप करें। सच्चा आनंद त्याग में है। संसार में जहां भोग है ,वहां सजा है।श्रावक धर्म का पालन करें। इर्ष्या अग्नि के समान है। अंदर ही अंदर व्यक्ति को इर्ष्या खोखला कर देती है। जैसे दीमक लगने पर खोखला हो जाता है, वही स्थिति इर्ष्या से होती है। ननंद से भाभी इर्ष्या करती है।आज भाई -भाई में इर्ष्या हो रही है। इर्ष्यालु कर्म बांधता है। क्षमा भाव रखें, तीर्थंकर भगवान की शरण में जाएं। कभी भी इर्ष्या न करें। उक्त बातें महावीर भवन स्थानक में विराजित अभय मुनिश्री ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि पूरी अयोध्या राम को चाहती थी, लेकिन कैकेई ने राजा दशरथ से कहकर राम को इर्ष्या बस होकर 14 साल के लिए वन में भेजा।

अशुभ कर्म का कारण मोहिनी कर्म है और उसी कारण इर्ष्या करते हैं। इर्ष्या भाव घटाएं। मुनिश्री ने कहा दृष्टि दोषों पर नहीं जाना चाहिए। मन के परिणामों को सुधारें। मीठे पानी की नदियां समुद्र में मिलकर खारा पानी हो जाता है। आत्मा में इर्ष्या घुली हुई है, उसे बाहर कर ज्ञान, दर्शन और चारित्र रुपी रत्न प्राप्त करें।इर्ष्या से धनवान भी परेशान हैं।धन ही व्यक्ति को गलत मार्ग पर ले जाता है। गुणवान बनों, भगवान के गुण अपने में आएं,यह भाव व इच्छा रखे। महिलाएं इर्ष्या अधिक करती है। अनेक घर इर्ष्या और मोबाईल के कारण टूट रहें हैं। व्यापारियों में भी इर्ष्या रहती है। महिलाओं में 50 प्रतिशत, व्यापारियों में 25 प्रतिशत इर्ष्या रहती है। संप्रदाय वाद में भी इर्ष्या है। किसी की लाईन छोटी न करे, अपनी लाईन बड़ी करें। इर्ष्या भव -भव में दुःख पहुंचाएगी। जहां में वहां इर्ष्या है। आपने चार अहंकार को छोड़ने की बात कही। गिरीश मुनि श्री ने कहा कि जीवन में परिवर्तन लाएं। समभाव रखें, सब्जी में नमक नहीं है तो नाराज न हो। जरा सी बात पर घर में महाभारत हो जाती है।

“सत्संग में जाने से इच्छाओं का नाश होता है-मिठ्ठूपुरा सरकार”

किसी ने पूछा की मंदिर जाने में और सत्संग में क्या फर्क है। जवाब मिला की मंदिर जाने से ,इच्छाओं, की पूर्ति होती है । पर सत्संग में जाने से इच्छाओं का नाश, होता है। इसलिए नित्य सत्संग अवश्य करें। तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरही तुला एक अंग। तुल ना ताही ही शकल मिली जो सुख लव सत्संग। क्षण भर का सत्संग स्वर्ग और बैकुंठ के सुख से भी ज्यादा श्रेष्ठ है। उक्त प्रेरणादाई प्रवचन श्री श्याम श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नया दशहरा मैदान पर आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा के तृतीय दिवस भागवत भास्कर संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा सुना गए। आज की कथा के मुख्य यजमान हेमंत राठौड़ और कथा समिति के अध्यक्ष संजीव पांचम द्वारा मालवी पगड़ी पहनाकर संत श्री का स्वागत किया। आज पूज्य गुरुदेव द्वारा श्री राम कथा में भगवान शंकर और सती जी का प्रसंग बड़े ही मार्मिक शब्दों में श्रवण करवाया। जिसे सुनकर सारे श्रोता भाव विभोर हो गए। कथा में सुनाया की ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की सबसे छोटी बेटी जिनका नाम सती था।

उनका विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ । एक दिन भगवान शंकर सती जी को लेकर कुंबज ऋषि के आश्रम में श्री राम कथा श्रवण हेतु गए। भगवान शंकर ने तो श्री राम कथा बड़े प्रेम से श्रवण की। पर सती जी ने मन में अभिमान के कारण भगवान की कथा नहीं सुनी। और उनके मन में भगवान श्री राम के प्रति ही संदेह हो गया ।शास्त्र में लिखा है। कि श्रद्धावान लभते ज्ञानम, सनसंय आत्मा विनाश्यति, सनंसय आदमी का विनाश कर देता है। और इसी संदेह के कारण शंकरभगवान के मना करने पर भी सती जी ने श्री राम जी की परीक्षा ली ।

और अपने पति से झूठ बोला ।और भगवान की बात नहीं मानी।और भगवान के मना करने पर भी अपने पिता के यहां यज्ञ में गई ।और वहां जाकर अपमानित होना पड़ा। गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं ।कि संसार में दुख तो बहुत है। पर सबसे बड़ा दुख है ।अपने समाज में व्यक्ति का अपमान होना। यद्यपि जग दारुण दुख नाना। सबसे अधिक जाति अपमाना। सती जी भगवान शंकर का अपमान सहन ना कर सकी ,और अपने पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में अपने शरीर को भस्म कर लिया।

फिर इन्हीं सती जी का अगला जन्म में हिमाचल और मैंना के घर पार्वती जी के रूप में जन्म हुआ। और फिर भगवान शंकर से इनका विवाह हुआ। इसके साथ ही पूज्य गुरुदेव द्वारा गाए हुए मधुर भजनों पर सभी श्रोताओं ने नृत्य किया। कल श्री राम जन्मोत्सव की कथा होगी। इस अवसर पर कमल ताम्रकार ,लखन पाटीदार ,गोपाल दास राठी ,कैलाश पांचम सोनी ,हेमंत गिरी महंत शंकर मंदिर ,चंद्र सिंह राजपूत, जीवन सिंह पटेल ,भगवत मेवाड़ा ,राजू राठौड़, सवाई सिंह जी ठाकुर ,मनीष जी राजपूत ,जोगेंद्र सिंह ठाकुर, गजेंद्र सिंह ठाकुर ( रुपाहेडा ) राजा जी ठाकुर नीरज ठाकुर, मोहन वर्मा, विजेंद्र सिंह ,राजेंद्र सिंह सोलंकी , रतन सिंह डॉक्टर, नरेंद्र सिंह भाटी ,संजीव पांचाल, जहुर मंसूरी , अमन बैरागी,दशरथ मेवाड़ा , विक्रम सिंह पटेल ,हेमंत राठौड़ ,सोनू गुणवान, सहित बड़ी संख्या में मात्शक्तियों की उपस्थित रहीं।

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