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आष्टा । 17 नवम्बर को सम्पन्न हुए मप्र विधानसभा के चुनाव में सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्र के 84.29% मतदाताओं ने भारी मतदान कर अपने भावी विधायक का भाग्य ईवीएम मशीन में बन्द कर क्षेत्र का जागरूक,समझदार,मतदाता मौन धारण कर 3 दिसम्बर का इंतजार कर रहा है। राजनीतिक दल के नेता,राजनीतिक पंडित,राजनीति के विश्लेषक,राजनीति में रुचि रखने वाले जागरूक नागरिक,चाय पान की गुमटी पर,होटलों में कुछ समय बैठ कर अपना समय व्यतीत करने वाले सहित अन्य सभी अपने अपने हिसाब से जीत हार की समीक्षा करते देखे सुने जा रहे है।

इस चुनाव में भाजपा को अपने बूथ स्तर तक चुनाव से काफी पहले से बूथ स्तर तक की जमावट,सक्रियता का इस चुनाव में असर देखने को मिला वही कांग्रेस में सबसे पहले उम्मीदवार के नाम की घोषणा का एवं घोषित उम्मीदवार का खुल कर विरोध ना होना फ़ायदेबन्द रहा,वही भाजपा में उम्मीदवार की घोषणा के बाद जो हुआ,जो घटा,वो अखबारों की सुर्खियां तो बना वो नुकसान का कारण भी कही तो बना है।

उसके बाद सीएम के हस्तक्षेप के बाद हुए डैमेज कंट्रोल के बाद एकता का जो संदेश दिखा वो बड़े नुकसान को रोकने में सहायक हुआ ये परिणाम ही बतायेगा। टिकिट वितरण के बाद भाजपा में, भाजपा के जो नेता भाषणों में पार्टी को अपनी माँ बताते थकते नही थे,वे नेता होन टिकिट वितरण के बाद क्या क्या बोले,किसको किसको लेकर बोले ये भी किसी से छुपा नही है,जो सोशल मीडिया में छाये भी रहे ।

उसका राजनीतिक खामियाना भी भुगतना पड़ सकता है। टिकिट वितरण को लेकर कांग्रेस में भी हाल ठीक नही थे लेकिन इस बार पहली बार ऐसा देखा गया कि टिकिट वितरण के बाद कही से भी खुल कर बगावत के सुर सुनाई नही दिये, इसके पीछे 33 साल का राजनीतिक वनवास एक कारण था। चुप रह कर बत्ती देने की बात से कोई इंकार भी नही किया जा सकता है.!


लेकिन इस चुनाव में जनता ने,युवा मतदाताओं,लाडली बहनाओ ने व अन्यो ने जो मन बना लिया था उस मन को कोई विरोध,बगावत,नाराजी डिगा नही पाई ओर मतदाताओं ने ईवीएम को ठूस ठूस कर करीब 84% से अधिक भर दी है। आष्टा विधानसभा क्षेत्र के 335 मतदान केंद्रों में से 279 मतदान केंद्रों पर तो मतदाताओं ने 80 से 90% मतदान कर सबके दिमाग को चकरघिन्नी कर रखा है ।

सब जानते भी है कि ये रिकार्ड तोड़ मतदान किसने किया,क्यो किया,इसके क्या परिणाम आएंगे ये सब जानते भी सब अंजान से बने है। मतदान के बाद आष्टा हैडलाइन ने सम्पन्न हुए मतदान की टेबल समीक्षात्मक विश्लेषण किया। किये गये विश्लेषण में कही खुशी तो कही गम का खेल भी नजर आया तो कही ये भी मेहसूस किया कि जिनको जहां काफी उम्मीद है,वहां उनकी उम्मीद,उम्मीदों पर खरी उतरे इसको लेकर शंका कुशंका नजर आ रही है।


आष्टा विधानसभा क्षेत्र के 335 मतदान केंद्रों में से जो मतदान हुआ हमने उसे प्रतिशत के हिसाब से 5 भागो में बांटा जिसके आधार पर 5 मतदान केंद्रों पर 65 से 74%, 30 मतदान केंद्रों पर 75 से 80%, 154 मतदान केंद्रों पर 81 से 85%, 125 मतदान केंद्रों पर 86 से 90%, 21 मतदान केंद्रों पर 91 से 95% मतदान हुआ है। सम्पन्न हुए मतदान में इस बार मतदान केंद्र क्र 251 चाचाखेड़ी,बड़झीरी, लखमीपुर में सबसे अधिक क्रमशः 94.50%,94.26%,93.37% मतदान ने रिकार्ड दर्ज किया है। वही दो मतदान केंद्र क्र 61 एवं 60 में सबसे कम क्रमशः 68.60% एवं 69.33% मतदान हुआ ।


अगर 2018 के चुनाव की सम्पन्न हुए 2023 के चुनाव से तुलना की जाये तो 5 साल में करीब 1% से थोड़ा सा अधिक (28,827) मतदाता बढे है। जबकि मतदान करीब 3% अधिक बढ़ा है । चुनाव के दिन जिस तरह से भाजपा ने लोगो को घरों से निकाला, उन्हें मतदान केंद्र तक पहुचाया निश्चित ये उसके लिये बड़े फायदे का कारण बनेगा । मतदान के दिन कांग्रेस में उतनी सक्रियता नजर नही आई जितनी उम्मीद की जा रही थी। इसके पीछे भी एक नही कई छुपे कारण भी है,उसे कांग्रेस और कांग्रेस के प्रत्याशी अच्छी तरह जानते समझते है ?

बढे मतदान को लेकर भाजपा अति उत्साहित है। इसके पीछे उसका तर्क है की ये जो मतदान बढ़ा वो भाजपा के पक्ष में ही गया है और यही हमारी जीत की असली कुंजी है। भाजपा का तर्क है की उसने जो बूथ पर पेज प्रभारी की योजना को जमीन पर उतारा उसके कारण,सरकार की लाड़ली बहाना योजना के कारण,अन्य गांव,गरीब,किसान,हितैषी योजनाओ का लाभ प्राप्त करने वाले मतदाताओं ने हमारे पक्ष में ही मतदान किया है ऐसा उन्हें विश्वास है।

वही कांग्रेस भी जीत के प्रति आशान्वित है इस आशा के पीछे उसका भी तर्क है कांग्रेस का मानना है की जिसके कारण कांग्रेस आष्टा में हारती थी इस बार उन्हें ही कांग्रेस ने शामिल होने के बाद उम्मीदवार बनाया,मतदाता भाजपा से ऊब चुके उन्होंने कांग्रेस को इसका विकल्प चुना,भ्रष्टाचार,महिला अपराध,महंगाई से परेशान मतदाताओं ने कांग्रेस में आस्था दिखाई ऐसी कांग्रेस को उम्मीद है।


अभी तो सब कौन जीतेगा कौन हारेगा इसको लेकर अपने अपने गणित बता कर समझा रहे है,लेकिन मतदाताओं ने क्या फैसला दिया है इसका सही जवाब तो 3 दिसम्बर को ईवीएम खुलने पर ही सामने आयेगा।
आष्टा विधानसभा क्षेत्र में यू तो 9 उम्मीदवार मैदान में है ।

लेकिन यहा सीधा मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में ही है,बाकी अन्य पार्टियों व निर्दलीयों का कोई बजूद नजर नही आ रहा है,वे चुनाव प्रचार से लेकर मतदान दिवस तक कही नजर नही आये,झलक दिखलाजा की तर्ज पर जरूर दिखे।
हमने जो आंकड़े जुटाये है कम ज्यादा भी हो सकते है वो कोई अधिकृत नही है।

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