सीहोर । 13 जनवरी,2025
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1857 की क्रांति को भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में देखा जाता है। मेरठ से 10 मई 1857 को सैनिक विद्रोह के रूप में शुरू हुई इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों में असंतोष फैलता गया और धीरे धीरे इस आन्दोलन ने उग्र रूप ले लिया। पूरे देश के साथ ही मध्य भारत में भी अंग्रेजी हुकूमत ने इस विद्रोह को दबाने के लिए अनेक क्रांतिकारियों को गोली से भून दिया।
अंग्रेजी शासन के खिलाफ मध्य भारत में चल रहे विद्रोह में सीहोर की बरबर्तापूर्ण घटना को जलियांवालाबाग हत्याकांड की तरह माना जाता है। दस मई 1857 को मेरठ की क्रांति से पहले ही सीहोर में क्रांति की ज्वाला सुलग गईं थी।
मेवाड़, उत्तर भारत से होती हुई क्रांतिकारी चपातियां 13 जून 1857 को सीहोर और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच गयी थी। एक अगस्त 1857 को छावनी के सैनिकों को नए कारतूस दिए गए। इन कारतूसों में सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी।
जांच में सुअर और गाय की चर्बी के उपयोग की बात सामने आने पर सैनिकों में आक्रोश और बढ़ गया। सीहोर छावनी के सैनिकों ने सीहोर कॉन्टिनेंट पर लगा अंग्रेजों का झंडा उतार कर जला दिया और महावीर कोठ और वलीशाह के संयुक्त नेतृत्व में स्वतंत्र सिपाही बहादुर सरकार का ऐलान किया। जनरल ह्यूरोज को जब सीहोर की क्रांतिकारी गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इसे बलपूर्वक कुचलने के आदेश दिए।
सीहोर में जनरल ह्यूरोज के आदेश पर 14 जनवरी 1858 को सभी 356 क्रांतिकारियों को जेल से निकालकर सीवन नदी किनारे सैकड़ाखेड़ी चांदमारी मैदान में लाया गया। इन सभी क्रांतिकारियों को एक साथ गोलियों से भून दिया गया था। जनरल ह्यूरोज इन क्रांतिकारियों के शव पेड़ों पर लटकाने के आदेश दिए और शवों को पेड़ों पर लटकाकर छोड़ दिया गया था।
दो दिन बाद आसपास के ग्रामवासियों ने इन क्रांतिकारियों के शवों को पेड़ से उतारकर इसी मैदान में दफनाया था। मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को बड़ी संख्या में नागरिक सैकड़ाखेड़ी मार्ग पर स्थित शहीदों के समाधि स्थल पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
“देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति से शहीदों को नमन करेंगे बच्चे
आज क्रांतिकारियों की समाधी स्थल पर पुष्पांजली समारोह”
शहीद सिपाही बहादुर स्मारक समाधी स्थल सैकड़ाखेड़ी मार्ग पर 14 जनवरी मंगलवार 2025 को प्रात: 10.30 श्रद्धांजली समारोह का आयोजन किया गया है।
इस आयोजन में बड़ी संख्या में नागरिकों से उपस्थित होने की अपील विभिन्न संगठनों और समाजसेवियों ने की है। नगर पालिका द्वारा समाधी स्थल सजाया जाकर व्यवस्था की गई है।
प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सैकड़ाखेड़ी मार्ग स्थित शहीदों के समाधी स्थल पर पुष्पांजली का आयोजन किया जा रहा है। नगर पालिका सीहोर द्वारा यहाँ सभी व्यवस्था करते हुए टेंट-दरी के साथ ही आवागमन मार्ग को व्यवस्थित कराया गया है।
संगीतिका संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा यहॉ देशभक्ति गीतों के माध्यम से शहीदों को नमन किया जायेगा ज्ञातव्य है कि 1857-1858 के भारतीय इतिहास के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में सीहोर के क्रांतिकारियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और सीहोर को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराकर पहली समानांतर सरकार सिपाही बहादुर की स्थापना की थी।
क्रांतिकारी हवलदार महावीर कोठ के नेतृत्व में वलि शाह, सूबेदार रमजूलाल, आरिफ शाह, लक्ष्मण पाण्डे, रामप्रसाद, देवीदीन, शिवचरण जैसे क्रांतिकारियों ने सीहोर को अंग्रेजो से मुक्त कर दिया था। इन्ही सैकड़ो देशभक्त क्रांतिकारियों को बिना किसी नियमित जांच के 14 जनवरी 1858 को जनरल ह्यूरोज की अंग्रेज सैना ने टुकडिय़ों में खड़ाकर इनके सीनों को गोलियों से छलनी कर दिया था।
इस विशाल नरसंहार में करीब 356 से अधिक क्रांतिकारी शहीद हुए थे। जिनकी समाधियां सैकड़ाखेड़ी मार्ग पर सीवन नदी के कि नारे पर अब भी बनी हुई हैं।
शहीद सिपाही बहादुर स्मारक निर्माण समिति के आव्हान पर इस वर्ष 14 जनवरी शनिवार को प्रात: 10.30 बजे श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया गया है।