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आष्टा। बुरे खान पान गलत वाणी लोभ लालच का त्याग करना ही संन्यास कहलाता है उक्त अमूल्य वचन कथा के छठे दिन उपस्तिथ बड़ी संख्या में भक्तों को संबोधित करते हुए संतश्री गोविंद जाने ने कहे। कथा में राम जानकी के विवाह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अच्छा बोलना, अच्छा देखना, अच्छा कार्य करना यह आपकी कला नहीं है, यह भगवान की दया दृष्टि से आपको विवेक मिला है ।

अगर किसी का अहित होना आपकी खुशहाली से जुड़ा है तो,वो खुशी आपकी निरर्थक है । यह तेरा, यह मेरा, इन सब को छोड़कर अगर राम को अंतःकरण से याद करोगे, जिस दिन आपने गोपाल को अपना बना लिया छोटी वाणी, गलत खान पान, ईर्ष्या का त्याग कर दोगे उस दिन तुम प्रभु के करीब पहुंच जाओगे । प्रार्थना, पाठशाला या संत नहीं सिखाता है,जिस प्रकार एक छोटा बच्चा अपनी मां को देखकर ललाहित होता है और वह उसके भाव को समझ जाती है ठीक उसी प्रकार आपका प्रभु के प्रति लगन ही आपकी सच्ची प्रार्थना है।

तन का स्नान तो हम घर पर भी कर सकते हैं परंतु गंगा जमुना काशी में नहाने से जो प्रार्थना करता है वो मां हमारे अंदर छुपी बुराइयों का त्याग कर इस जल में समाहित कर देना और हम अच्छे इंसान बने ऐसी मती देना । विश्वास विनम्रता प्रणाम साहस के साथ जो व्यक्ति कदम बढ़ाते हैं वह जीत जाते हैं और जो घमंड से कदम बढ़ाते हैं वह हार जाते हैं । जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया। कपट, दम्भ और माया से परे है, वो ही भगवान् श्री राम के कृपा पात्र है और जिन पर राम की कृपा है उन्हें कई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता।

परमात्मा जिसपर कृपा कर देते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । आज छठे दिन कथा श्रवण करने विधायक गोपालसिंह इंजीनियर, सीहोर की वरिष्ठ समाजसेविका श्रीमती अरुणा सुदेश राय कथा में पहुची एवं कथा श्रवण कर गुरुजी का आशीर्वाद लिया । इस अवसर पर बड़ी संख्या मे भक्तो का जनसैलाब उपस्थित रहा।

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