आष्टा। न्यायालय परिसर, आष्टा में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार नेशनल लोक अदालत माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सीहोर के रामानंद चंद के निर्देशन में सम्पन्न हुई। सर्वप्रथम माॅ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष विधिक सेवा समिति, आष्टा के अध्यक्ष माननीय प्रथम जिला न्यायाधीश, सुरेश कुमार तथा द्वितीय जिला न्यायाधीश कंचन सक्सेना, न्यायाधीशगण मनोज भाटी, श्रीमती सारिका भाटी, सुश्री आयुषी गुप्ता, बाॅबी सोनकर, श्रीमती शालिनी मिश्रा शुक्ला, म.प्र.वि.वितरण कंपनी के कार्यपालन यंत्री इंद्रपाल नरगिस भारतीय स्टेट बैंक के सहायक महा प्रबंधक नाजीम, मुख्य प्रबंधक भगत सिंह, चारू शर्मा, डी.आर. टेकाम, आदित्य कुमार, देवानंद, एवं के.एल.पवार मध्यप्रदेश लाॅ एंड पब्लिक वेलफेयर काउंसिल के जिला अध्यक्ष धीरज धारवां अधिवक्ता संघ अध्यक्ष तेज सिंह भाटी, सचिव भूपेश जामलिया एवम् कर्मचारीगण ने माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सुरेश कुमार चौबे ने बताया कि भारत मे प्राचीन काल से पंच के माध्यम से स्थानीय स्तर पर ही विवादो को सुलह और समझौते के आधार पर समाप्त करा देने की परम्परा चली आ रही है। वास्तव मे पारिवारिक विवाद की जड़ किसी ना किसी व्यक्ति की विचार धारा, उसके आचरण एवं समाज मे उसकी भिन्न-भिन्न भूमिकाओ मे कही न कही छिपी होती है। सुरेश कुमार चौबे ने लोक अदालत योजना के माध्यम से बताया की लोक अदालत के लाभ क्या है लोक अदालत से पक्षकारो के मध्य आपसी सदभाव उत्पन्न होता है व शत्रुता समाप्त होती है।
समय, धन , श्रम की बचत होती है । विभिन्न न्यायालयो मे लंबित दावें लोक अदालत मे एक ही स्थान पर निर्णित कराये जा सकते है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि, लोक अदालत का आदेश/अवार्ड अन्तिम होता है इसके विरुद्ध कोई अपील नही होती है और पक्षकारो का विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। नेशनल लोक अदालत में आष्टा तहसील के भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, बैंक आॅफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र, बैंक आॅफ बड़ोदा, पंजाब नेशनल बैंक, म.प्र. ग्रामीण बैंक, सहित नगर पालिका परिषद आष्टा, जावर एवं कोठरी तथा मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कम्पनी के न्यायालय परिसर में शिविर लगाये गए थे। जिसमें उपभोक्ता, पक्षकारगण एवं ऋणग्रहिता काफी मात्रा में उपस्थित थे और सभी ने नेशनल लोक अदालत द्वारा प्रदत्त सुविधा एवं राहत का लाभ लिया। न्यायालय में भी काफी प्रकरणो का निपटारा पक्षकारगण को समझाईश देकर किया गया।
इस बीच लोक अदालत का सबसे चर्चित मामला यह रहा कि विजेन्द्र सिंह द्वारा अपनी पत्नी को लाने के लिए धारा 09 हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत दाम्पत्य पुर्नस्थापना का मुकादमा अपने अधिवक्ता मोरसिंह मेवाड़ा के माध्यम से लगाया था तथा पत्नी अलका के अधिवक्ता लखन लाल खंडारे एवं जिला न्यायाधीश सुरेश कुमार चौबे द्वारा दंम्पत्ति को समझाया गया। न्यायालय की समझाईश पर अलका एवं विजेन्द्र सिंह ने एक साथ रहना स्वीकार किया तब जिला न्यायाधीश सुरेश कुमार द्वारा उक्त दम्पत्ति को पुष्पगुच्छ भेंट कर एवं दोनों के द्वारा एक दूसरे को माला पहनवाकर प्रेमपूर्वक रहने की समझाईश देकर न्यायालय से ही विदा किया गया।
सिविल न्यायालय आष्टा मे नेशनल लोक अदालत के दौरान काफी संख्या मे पक्षकारगण उपस्थित हुये और उन्हें खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारियों, सदस्यो, अधिवक्तागणों, नगर पालिका सी.एम.ओं., विद्युत विभाग के अभियंता एवम् विभिन्न बैंको के अधिकारिगण द्वारा नेशनल लोक अदालत मे विभिन्न प्रकरणों मे दी जानी वाली छूट एवम् लोक अदालत के महत्व तथा लाभ बताते हुये समझौते कराये गये। उनके द्वारा समझाये जाने के प्रभाव सेे सिविल न्यायालय आष्टा मे नगर पलिका के शिविरो एवम् विद्युत विभाग के शिविरो मे पक्षकारो द्वारा बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुये राशि जमा करायी गयी। पक्षकारों द्वारा विद्युत के प्रीलिटिगेशन प्रकरणों मे कुल 646299 रूपये की राशि एवम् नगर पलिका के शिविर मे जलकर एवम् सम्पत्ति कर की कुल 632718 रूपये की राशि जमा की।
सिविल न्यायालय आष्टा के विभिन्न न्यायालयों मे लंबित प्रकरणों में प्रथम जिला न्यायाधीश एस.के.चौबे के न्यायालय मे कुल 200 विद्युत प्रकरण निराकरण के लिए रखे गए थे।
जिसमें से राजीनामा अनुसार कुल 105 प्रकरणों का निराकरण हुआ। जिसमें 1219714/- रूपये राशि जमा करायी गयी, तथा मोटरयान अधिनियम एवं एनआईएक्ट तथा अन्य प्रकरणों का निराकरण हुआ, जिसमे कुल 28 प्रकरणों में पक्षकारो को 2010000/- समझौता राशि दिये जाने के आदेश न्यायालय द्वारा किये गये। द्वितीय जिला न्यायाधीश कंचन सक्सेना के न्यायालय मे कुल 71 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गये थे जिसमें से 22 प्रकरणों का निराकरण हुआ। जिसमें पक्षकारगण को 2746000/- रूपये का लाभ हुआ। न्यायिक मजि. प्रथम श्रेणी मनोज कुमार भाटी के न्यायालय में 138 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गए थे जिनमें 30 प्रकरणों में आपसी सहमति से प्रकरणों का निराकरण हुआ। तथा 66 पक्षकारों को 12886539/- रूपये का लाभ प्राप्त हुआ, इसी प्रकार सारिका भाटी के न्यायालय में कुल 96 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गए थे जिसमें ने 20 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें 79 पक्षकार लाभान्वित हुए।
सुश्री आयुषी गुप्ता के न्यायालय में कुल 21 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गये जिसमें से 21 प्रकरणों का निराकरण हुआ 42 पक्षकारों को 2811001/- रूपये का लाभ प्राप्त हुआ। इसी प्रकार बाॅबी सोनकर के न्यायालय में 355 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गए थे जिसमें से 20 प्रकरण निराकृत हुए तथा पक्षकारगण को 2128379/- रूपये का लाभ प्राप्त हुआ। श्रीमती शालिनी मिश्रा शुक्ला के न्यायालय में कुल 22 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गए थे जिसमें 11 प्रकरणों में राजीनामा हुआ और 1277000/- रूपये का पक्षकारगण को लाभ हुआ।
न्यायालय परिसर मे पक्षकारो को समझाईश देने हेतु अधिवक्तागण, सुधीर पाठक,मशकूर अली, भूपेन्द्र सिंह राणा, शोभाल सिंह ठाकुर, विजेन्द्र सिंह ठाकुर, कृपाल सिंह ठाकुर, रविन्द्र सिंह भाटी, नरेन्द्र कुमार जोशी, भूपेश जामलिया, जीवन सिंह खजूरिया, नीलेश शर्मा, मनोज शर्मा, विक्रम वर्मा, सुरेन्द्र परमार, विजेन्द्र सिंह ठाकुर, सीताराम परमार, कुलदीप शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, सौभाग्य सिंह ठाकुर, अनीता यादव, मोहम्मद आमिर, हनीफ अंसारी, प्रिंस अनुराग धारवां तथा न्यायालयीन कर्मचारीगण सुश्री प्रिया एदलाबादकर सहायक ग्रेड-3, श्री उत्तम नारायण तिवारी, मुकेश राजपूत, अनिल श्रीवास्तव, मुकेश महेश्वरी, राकेश त्रिपाठी, अनिल वर्मा, मुकेश राजपूत, अशोक थापक, मनोहर सिंह राठौर, जीवन सिंह, राजेश शर्मा, नितीश दावा, फूलचंद मालवीय, सुरेश पाराशर, मुकेश सिसोदिया, कमलेश परते आदि उपस्थित थे।