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आष्टा । आष्टा नगर में इन दिनों एक प्रेमी-प्रेमिका के प्रेम के किस्से कई दिनों से सुने जा रहे थे। अब इस प्रेम कहानी में कुछ विलेन रोड़ा बन गये । कहते है ना की प्यार अंधा होता है,इस अंधे प्यार ने प्रेमी को ऐसा कदम उठाने को मजबूर कर दिया की वो उठाया कदम प्रेमी युगल के लिये परेशानी का कारण बन गया । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ये प्रेमी युगल नगर की एक प्राइवेट शिक्षण संस्था में पढ़ाते थे,यही इन दोनों में प्रेम का बीजारोपण हुआ,ये बीज अंकुरित हो गया।

धीरे धीरे ये बढ़ने लगा। जब ये बढ़ने लगा तो खबरे छन कर आने लगी। इसी दौरान इन दिनों चर्चित उक्त शिक्षण संस्था जो आज ही नही लम्बे वक्त से अपने कारनामो,नियमो आदि के कारण चर्चित रही है,कई बार इसके खिलाफ पालकों ने आंदोलन भी किये । उक्त संस्था ने इस प्रेमी युगल को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अभी ये स्पष्ट नही हुआ है की उक्त संस्था जिसमे से इस प्रेमी युगल को भी बहार का रास्ता दिखाया उसके पीछे कारण क्या दोनों का प्रेम प्रसंग ही था या कोई और कारण था। खेर इस मसले को छोड़ो

ये घुंघरू जो बजते नही,पर सुनाई देते है……..

लेकिन उक्त शिक्षण संस्था से बहार का रास्ता दिखा देने के बाद इन दोनों युगलों को मिल बैठ कर प्रेम की बाते करने का एक सुरक्षित स्थान छीन जाने से इस जोड़े के सामने ये समस्या सामने आ गई कि अब ऐसा क्या करे की मिल सके,साथ बैठ सके,प्रेम की दो बात कर सके । जब इसका कोई समाधान नही निकला तब बताते है,प्रेमी,प्रेमिका से मिलने रात के अंधेरे में प्रेमिका के घर पहुच गया।

मोहल्ले के युवकों को जब इसकी भनक लगी तक तीन चार दिन पहले रात्रि में जैसे ही प्रेमी पहुचा घात लगा कर बैठे लोग छुप कर प्रेमी का प्रेमिका के घर से बहार निकलने का इंतजार करते रहे। जैसे ही प्रेमी ने प्रेमिक के घर से बहार निकल कर अपने घर जाने के लिये कुच किया,घात लगा कर बैठे मोहल्ले के गुरिल्ला युवक, युवा प्रेमी पर बिना सांस लिये टूट पड़े।

बताते है प्रेमी की जम कर इतनी ठुकाई की, की वो जैसे तैसे घर पहुचा। तब प्रेमी के घर वालो को ज्ञात हुआ की पुत्र किस मिशन में लगा है। अब प्रेम प्रसंग,घर मे घुसने,ठुकाई आदि की शिकायत ले कर थाने कौन जाये,कैसे जाये, किस मुह से जाये, जो जाये तो दोनों की बदनामी का डर सताये। इस लिये अब उक्त मामला “तेरी भी चुप-मेरी भी चुप” की तर्ज पर लगभग शांत है.! क्या ये वाकई में मामला शांत है,या तूफान के पहले की शांति है..?
“बस हम तो यही कहेंगे, बाबू जी ये हमारे जो घुंघरू है, वो बजते नही है पर सुनाई जरूर देते है.!”

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